यह हाइवे भारत के मणिपुर राज्य के मोरेह से म्यांमार के तामू शहर से होता हुआ थाईलैंड के माइ सोट जिले के ताक शहर तक जाएगा।
भारत, थाईलैंड और म्यांमार मिलकर 1400 किलोमीटर लंबे हाइवे के निर्माण पर काम कर रहे हैं। इस हाइवे के बनने के बाद भारत का संपर्क सुदूर के दक्षिण-पूर्वी देशों से हो जाएगा। इस सड़क मार्ग के जरिए व्यापार और पर्यटन के बढ़ने की भी उम्मीद जताई जा रही है। थाईलैंड में भारत के दूत भगवंत सिंह बिश्नोई ने कहा कि म्यांमार में दूसरे विश्व युद्ध के समय बनाए गए सात दशक पुराने 73 पुलों का भारत की मदद के जरिए पुनरुद्धार किया जा रहा है। 18 महीनों में इनके रिपेयर का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद हाइवे को खोल दिया जाएगा और तीनों देश जुड़ जाएंगे। यह हाइवे भारत के मणिपुर राज्य के मोरेह से म्यांमार के तामू शहर से होता हुआ थाईलैंड के माइ सोट जिले के ताक शहर तक जाएगा। वर्तमान में इस हाइवे के उपयोग को लेकर तीनों देशों के बीच एक मोटर व्हीकल एग्रीमेंट पर बातचीत हो रही है। बिश्नोई ने बताया कि भारत और थाईलैंड सांस्कृतिक, आध्यात्मिक दृष्टि से कई समानताएं रखते हैं। इस सड़क मार्ग के जरिए दोनों एक-दूसरे से जुड़ भी जाएंगे। आने वाले समय में इस हाइवे को चेन्नई से थाईलैंड के बंदरगाह लाएम चाबांग तक बढ़ाया जा सकता है। भारत और थाईलैंड के बीच पिछले साल आठ बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था। वहीं पिछले साले 10 लाख भारतीय पर्यटक थाईलैंड घूमने गए थे। वहां करीब 300 भारतीय शादियां आयोजित हुई थी। टाटा ग्रुप, आदित्य बिरला और इंडोरामा जैसे भारतीय ग्रुप थाईलैंड में व्यापार करते हैं। वहीं सीपी ग्रुप, डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी थाई कंपनियां भारत में काम करती हैं।