भोपाल। बीएमएचआरसी के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी राय मधुकर सहाय (60) को उनके नौकर प्रेम ने घर में बंधक बनाकर चाकू और कैंची से हमला कर घायल कर दिया। वारदात के बाद आरोपी 20 लाख के जेवर और नकदी लूटकर भाग गया। आरोपी ने मंगलवार को वारदात को अंजाम दिया और फरार हो गया। उसकी तलाश में एक टीम दिल्ली स्थित प्लेसमेंट एजेंसी और दूसरी टीम बिहार के पूर्णिया स्थित घर भेजी गई है।पढ़ें पूरी खबर...
यह वारदात कवर्ड कैंपस सिद्धार्थ लेकसिटी स्थित उनके आवास बी-36 में हुई। एक प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए 15 दिन पहले ही नाैकर को काम पर रखा गया था। सहाय की पत्नी डॉ. अंजलि बीएमएचआरसी में मनोचिकित्सक और पूर्व सीबीआई डायरेक्टर अनिल सिन्हा की बहन हैं। घटना सुबह 9:30 से 11:30 के बीच हुई। घर पर उनका फोन रिसीव नहीं होने पर वे जब घर पहुंचीं तो वहां का हाल देखकर होश उड़ गए। शोर सुनकर पड़ोसी और सुरक्षा गार्ड वहां पहुंचे। पुलिस को कॉल किया। कुछ देर बाद पहुंची पुलिस और पड़ोसियों ने मधुकर को बीएमएचआरसी पहुंचाया। उनके शरीर पर कैंची और चाकू के 12 से ज्यादा वार मिले। डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर बताया है। कूल्हे में फ्रैक्चर है।
डॉ. अंजलि सहाय ने बताया- बड़ी बेटी अंकिता लंदन स्थित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है। छोटी बेटी जोया मुंबई की एक कंपनी में है। उसकी शादी के लिए मैंने जेवर जुटाए थे। हम जमींदार परिवार से हैं। इसलिए घर में चांदी के बर्तन और सोने के पुराने भारी जेवर रखे थे। प्रेम घर से करीब साढ़े तीन लाख रुपए के चांदी के बर्तन, 16-17 लाख के सोने के जेवर और 35-36 हजार रुपए नकद लेकर भागा।
घर के अंदर फर्श पर खून ही खून था, वे बेहोश पड़े थे, होश आने पर बताया, पमपम ने मुझ पर हमला कर दिया...
मैं अस्पताल में थी। 11.30 बजे मेरी सास शीला का फोन आया कि मधुकर फोन नहीं उठा रहे हैं। फौरन मैंने उनके तीनों मोबाइल नंबर, लैंडलाइन और वाट्सएप कॉल किए। कोई रिस्पांस नहीं मिला। बेटी जोया को मुंबई फोन लगाया। उसने बात होने से इनकार किया तो मैं घबरा गई। करीब दो बजे कॉलोनी के गार्ड से पूछा तो उसने बताया कि घर पर कुत्ते बंधे हैं। दरवाजा अंदर से बंद है। मैं पौने चार बजे घर पहुंची। दरवाजा बंद था तो टैरेस के रास्ते दाखिल हुई। बेडरूम का दरवाजा खोला तो मधुकर जमीन पर खून से लथपथ बेहोश पड़े थे। हाथ-पैर बंध थे। मैंने फौरन उन्हें आर्टिफिशियल ब्रीद दी। होश में आए। पानी मांगा। बोले प्रेम उर्फ पमपम ने मुझ पर हमला कर दिया। जेवर लूट ले गया है।-(जैसा डॉ. अंजलि सहाय ने बताया)।
डॉ. अंजलि सहाय ने पमपम को बीती 29 मई को ही काम पर रखा था। उसे दिल्ली की विष्णु सुकमती प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए रखा गया था। पहले दिन से ही प्रेम की गतिविधियां संदिग्ध लगीं तो डॉ. सहाय ने उसके पिता से फोन पर बात की थी। प्रेम ने ही एक फोन पर अपने पिता प्रमोद यादव बताकर बात उनकी बात कराई। उधर से इन्हें बताया कि वे बिहार पुलिस में सिपाही हैं। नौकरी पर आते ही सबसे पहले प्रेम ने डॉ. सहाय के तीनों पालतू कुत्तों एक काला लेब्राडॉर और दो सफेद पामेलियन का भरोसा जीतना शुरू किया। उन्हें घुमाने, खाना खिलाने और पानी पिलाने का काम वह करने लगा। इसी दौरान उसने सहाय परिवार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगाया। बिहार का पमपम दिल्ली होकर घरेलू काम के लिए भोपाल कैसे आया, इसकी पड़ताल दैनिक भास्कर ने की। प्रेम दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम के पास कोटला में कमरा लेकर रहता था। एजेंसी का दफ्तर पास में ही था। इसी एजेंसी के जरिए दिल्ली के पंजाबी बाग के एक परिवार में काम पर उसे भेजा गया, लेकिन उम्र को देखते हुए परिवार ने उसे रिजेक्ट कर दिया।
पमपम ने रजिस्ट्रेशन फार्म में खुद को हायर सेकेंडरी परीक्षा पास बताया है। उसने 12वीं पास होने के बाद भी हेल्पर की नौकरी के लिए 2 जून 2017 को फार्म भरा था। सुकमती निरोला ने कहा-एजेंसी में रजिस्ट्रेशन के दौरान पूछताछ में बतौर हेल्पर दो साल तक दिल्ली के एक होटल में काम करने की जानकारी दी थी। अपने बायोडेटा में अपने परिचितों में सागर और चंदन के नाम लिखाए थे। जबकि सागर उसे पहचानता ही नहीं है। दैनिक भास्कर ने सागर से बात की। उसने बताया कि पमपम को वह नहीं जानता। उससे कोई पहचान अथवा दोस्ती नहीं है। घर के पूरे जेवर और नकदी लूटने के बाद प्रेम डॉ. सहाय का स्कूटर लेकर घर से निकला। पुलिस ने शहर में सर्चिंग शुरू की। स्कूटर भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर छह के पास लावारिस खड़ा मिल गया। माना जा रहा है कि उसने दिल्ली जाने वाली कोई ट्रेन पकड़ी होगी। एसपी साउथ सिद्धार्थ बहुगुणा के मुताबिक प्रेम की तलाश में दो टीमें रवाना की गई हैं। एक टीम दिल्ली स्थित प्लेसमेंट एजेंसी से उसकी जानकारी लेगी और दूसरी टीम बिहार के पूर्णिया स्थित घर गई है।
राजधानी में अनुमानित ढाई लाख से ज्यादा परिवार किराए के मकान में रहते हैं। तकरीबन डेढ़ लाख नौकर घरों में काम करते हैं। इसके बाद भी भोपाल पुलिस के पास महज 12 हजार नौकर या किराएदारों के वेरिफिकेशन करवाए गए हैं। ये आलम तब है, जब शहर में नौकर या किराएदार से जुड़ी कई वारदातें अंजाम दी जा चुकी हैं। प्लेसमेंट एजेंसी ने पमपम कुमार का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया था। इसकी पुष्टि एजेंसी की डायरेक्टर सुकमती निरोला ने की है। उन्होंने बताया कि कंपनी का दफ्तर कोटला मुबारकपुर पुलिस स्टेशन के सामने ही है। पमपम कुमार भी कंपनी के दफ्तर के सामने ही एक दोस्त के साथ रहता था। इस कारण भोपाल से घरेलू नौकरी का ऑफर मिलने पर युवक को बिना पुलिस वेरिफिकेशन कराए भेज दिया था।