प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारत और मॉरीशस के बीच औषधि और होम्योपैथी की पारंपरिक प्रणालियों में सहयोग पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दे दी।
यह समझौता ज्ञापन चिकित्सकीय पौधों समेत पारंपरिक औषधि के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगा। यह उनके साझा सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए दोनों देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।
भारत और मॉरीशस दोनों के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भाषाई और साहित्यिक समानताएं हैं। चिकित्सकीय पौधों समेत पारंपरिक औषधि संभावनाओं वाले क्षेत्र हैं जिनके और दोहन किए जाने की जरूरत है तथा ये दोनों देशों के लोगों के लिए पारस्परिक रुप से लाभदायक हो सकते हैं।
अनुसंधान, प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों, सम्मेलनों, बैठकों और विशेषज्ञों की नियुक्तियों के संचालन के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की पूर्ति मौजूदा आवंटित बजट और आयुष मंत्रालय की वर्तमान योजनाओं से की जाएगी।
पृष्ठभूमि :
भारत में चिकित्सीय पौधों समेत पारंपरिक औषधि की ऐसी सुविकसित प्रणालियां हैं जिनकी व्यापक संभावनाएं वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में नजर आती हैं। भारत की ही तरह मॉरीशस में भी पारंपरिक औषधि का लम्बा इतिहास रहा है। दोनों ही देश चिकित्सा की आयुर्वेदिक प्रणाली के संदर्भ में समान संस्कृति को साझा करते हैं। यही नहीं, बड़ी संख्या में चिकित्सीय पौधे भी खास कर उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाए जाते हैं। समान भू-मौसमी कारकों को देखते हुए दोनों देशों में यह आम बात है।
विश्व स्तर पर चिकित्सा की भारतीय प्रणालियों का प्रचार करने संबंधी अपनी अधिदेश के तहत आयुष मंत्रालय ने चीनी जनवादी गणराज्य, मलेशिया, त्रिनिदाद एवं टोबैगो, हंगरी, बांग्लादेश और नेपाल के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।