अक्षय तृतीया का योग और सिंहस्थ का दूसरा शाही स्नान। ऐसे में उज्जैन का हर रास्ता शिप्रा की पावन धारा की तरफ ही जा रहा था। पैर रखने भर की जगह नहीं। जय महाकाल के उद्घोष के साथ सोमवार तड़के जूना अखाड़ा ने शिप्रा में पहली डुबकी लगाकर अमृत स्नान का शुभारंभ किया। इसके बाद साधुओं के 13 अखाड़ों और फिर देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पावन शिप्रा में आस्था की डुबकी लगाई। विदेशी श्रद्धालुओं ने भी किया क्षिप्रा में आंचमन । स्नान का सिलसिला दोपहर बाद तक चलता रहा।
सिंहस्थ में कभी नहीं जुटी इतनी भीड़ रविवार रात से ही शिप्रा के तट पर लाखों लोगों की भीड़ पहुंच चुकी थी। दावा किया जा रहा है कि सोमवार को शाही स्नान में 30 लाख से ज्यादा लोगाें ने अमृत स्नान किया। जानकार बताते हैं कि इससे पहले मध्यप्रदेश में हुए सिहंस्थ में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ कभी नहीं रही।
- 21 मई को तीसरा और आखिरी शाही स्नान
- 1-1.5 लाख से ज्यादा साधु-संतों ने शिप्रा में किया अमृत स्नान
- 40-45 देशों के श्रद्धालु आए हुए हैं सिंहस्थ में
- 10-11 लाख श्रद्धालु लगभग महाकाल के दर्शन करने पहुंचे
लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई अक्षय आस्था की डुबकी
सबसे पहले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद जी के नेतृत्व में हजारों नागा साधुओं ने स्नान किया। तड़के चार बजे नागा साधुओं का दल तेजी से शिप्रा घाट पर आया और हर-हर महादेव, जय महाकाल, शिप्रा मैया की जय हो आदि जय उद् घोष के साथ डुबकी लगाई। इसके बाद अन्य अखाड़ों ने भी अपने-अपने साधुओं के साथ स्नान का पुण्य अर्जित किया। अखाड़ों के स्नान के बाद ही आम श्रद्धालु इन घाटों पर स्नान के लिए पहुंचना शुरू हो गए थे।