नईदिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल के साथ ही भाजपा संगठन के प्रमुख पदों पर भी बदलाव संभव है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर मंत्रियों को अपने-अपने क्षेत्रों से दिल्ली बुला लिया गया है। संसद सत्र की समाप्ति के बाद कई मंत्री अपने क्षेत्रों को दौरे पर चले गए थे। पीएम मोदी मंत्रालयों के कामकाज और दो साल की उपब्धियों की खुद समीक्षा कर रहे हैं। यह समीक्षा मंत्रिमंडल में फेरबदल का आधार बन सकती है।
संसदीय क्षेत्रों से दौरा कर दिल्ली वापस आने वाले मंत्रियों में कैबिनेट और राज्य मंत्री शामिल हैं। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा रांची और हजारीबाग के दौरे पर थे। पीएम का संदेश मिलने के बाद वह भी दिल्ली पहुंच गए हैं। 5 राज्यों के नतीजों के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक कुछ मंत्रियों को हटाए जाने की संभावना है। कुछ का उपयोग संगठन में भी किया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के 2 वर्ष 26 मई को पूरा होने वाले हैं।
अपने कार्यकाल के तीसरे साल में प्रवेश के वक्त मोदी ज्यादा ऊर्जावान टीम चाहते हैं। खेल एवं युवा मामलों के मंत्री सर्वानन्द सोनोवाल को भाजपा ने असम में पार्टी का चेहरा बनाकर पेश किया है। एग्जिट पोल एवं सर्वे एजेंसियों के आकलन के मुताबिक असम में भाजपा की सरकार बन सकती है। लिहाजा सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसलिए खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय पर किसी नए चेहरे को लाया जाना लगभग तय है। कुछ मंत्रियों के प्रदर्शन से मोदी खुश नहीं हैं। नतीजतन वैसे मंत्रियों को हटाया जाना तय माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के अगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना बढ़ गई है। मोदी और अमित शाह की जोड़ी हर हाल में उत्तर प्रदेश की जंग जीतना चाहती है। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि सुविचारित रणनीति पर अमल से उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरा जा सकता है। इसे 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लोकसभा के 2014 के चुनाव में पार्टी को 80 में से 71 सीटें मिली थीं। हालांकि उसके बाद से पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ गिरा।
दिल्ली और बिहार के चुनावों में करारी हार ने आलोचकों और विरोधियों के हौसले बुलंद किए। बिहार में चित होने के बाद अब पार्टी धूल झाड़कर मैदान में फिर से खड़ी है। अगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश , पंजाब, गुजरात और कर्नाटक को मंत्रिमंडल में बड़ा हिस्सा दिया जा सकता है। इसके लिए बिहार जैसे राज्यों के कोटे में कटौती हो सकती है। वैसे बिहार से सुशील मोदी को मंत्रिमंडल में लाए जाने की भी चर्चा है। सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए कुछ मंत्रियों को संगठन की जिम्मेदारी देकर उप्र पर केंद्रित किया जा सकता है।